ध्यान के प्रकार | सहज योग मेडिटेशन | विपश्यना ध्यान | त्राटक ध्यान | थर्ड आई ध्यान |


 ध्यान के प्रकार

हमारे समाज में कई तरह के लोग होते हैं, एक वो जो विफल होने के बाद खुद को संभाल लेते हैं और दोबारा अपने लक्ष्य को पाने की कोशिश में जुट जाते हैं। दूसरे वो लोग होते हैं. जो उस काम को ही करना छोड़ देते हैं, जिनमें वो सफल नहीं हो पा रहे हैं और वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो हार मानकर खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं। इन सभी तरह की मन: स्थिति से निपटने के लिए मेडिटेशन भी कई तरह के किये जाते हैं। लेकिन हर तरह के मेडिटेशन को करने का उद्देश्य संतुष्टि, मानसिक शांति, एकाग्रता और प्रसन्नता प्राप्त करना ही होता है।


वैसे तो मेडिटेशन के कई प्रकार होते हैं लेकिन हम यहां आपको मेडिटेशन के कुछ मुख्य प्रकारों के बारे में बताने जा रहे हैं -

सहज योग मेडिटेशन -

सहज योग का अर्थ होता है, 'सह' यानि आपके साथ और 'ज' यानि जन्मा हुआ। योग से तात्पर्य मिलन या जुड़ना है अत: वह तरीका, जिसमें मनुष्य का सम्बन्ध (योग) परमात्मा से हो सकता है, सहज योग कहलाता है। इस तरह का मेडिटेशन आत्म- जागरूकता पैदा करने के लिए किया जाता है। इसे करने के बाद कुंडली जागृत हो जाती है और इससे मनुष्य खुद को परमात्मा से जुड़ा हुआ महसूस करता है।

विपश्यना ध्यान -

इस तरह के मेडिटेशन के जरिए इंसान खुद को नकारत्मकता से सकारत्मकता की ओर ले जाता है। ये ध्यान की सबसे महत्वपूर्ण विधि है। इससे आपके मन में जिंदगी के प्रति अधिक संतुष्टि का भाव पैदा होता है। इसे करने से मानसिक विकास तेजी से होता है। इस प्रक्रिया में सांस का उपयोग किया जाता है। विपश्यना ध्यान (Vipassana Meditation) उन लोगों के लिए ज्यादा लाभदायक है, जो हर समय कंफ्यूज रहते हैं या फिर जिनका मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं होता है।

त्राटक ध्यान -

त्राटक, जिसे केंद्रित ध्यान भी कहते हैं, में पांचों इंद्रियों में से किसी भी एक का उपयोग करते हुए एकाग्रता लाने की कोशिश की जाती है। इस प्रक्रिया को करते समय दिये की लौ, मोमबत्ती या फिर लैंप के फोकस पॉइंट पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इसे करने से दृश्य इंद्रि पर विशेष प्रभाव पड़ता है। इस तरह से ध्यान लगाने से एकाग्रता की क्षमता बढ़ती है।


थर्ड आई ध्यान -

जी हां, आप सही समझ रहे हैं, हम तीसरी आंख को जागृत करने के लिए किया जाने वाले ध्यान की बात कर रहे हैं। भगवान शिव की तरह ही तीसरा नेत्र हम में से हर व्यक्ति के पास है लेकिन नजर नहीं आती है। मनुष्य की तीसरी आंख तब काम करती है, जब उसका मन शांत और चित्त स्थिर हो। ऐसा तभी होता है, जब वो ध्यान की अवस्था में हो। व्यक्ति की तीसरी आंख उनकी ऊर्जा शक्ति का केंद्र होती है। इस मेडिटेशन को करने का मुख्य उद्देश्य उस तीसरी आंख को जागृत करते हुए शरीर में पर्याप्त ऊर्जा का संचार करना है।



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