अनमोल वचनः
जिस प्रकार हम शरीर पर पहने कपडों को हर रोज धोकर साफ करते है,उसी तरह हमें अपने मन को भी हर रोज परमात्म ज्ञान यानि सत्संग और ध्यान से साफ करना चाहिए ।
श्रीराम के जीवन से हम क्या सीख सकते हैं:-
1. अपने आँसू खुद पोंछो, दूसरे पोछेंगे तो सौदा करेंगे। जैसे सुग्रीव ने पहले अपना खोया हुआ राज्य और पत्नी को प्राप्त किया, उसके पश्चात श्रीराम की सहायता की। उसी प्रकार विभीषण सम्मानित जीवन और राज्य का प्रलोभन पाने के बाद श्रीराम की सहायता हेतु तत्पर हुआ।
2. अपनी मुश्किलों का सामना करने की क्षमता स्वयं में पैदा करो। परिवार और रिश्तेदार की सहायता मत लो नहीं तो ये लोग पूरा जीवन उपहास करेंगें। जैसे राम ने अयोध्या और जनक से अपनी मुश्किल दूर करने के लिए कोई सहयोग नहीं मांगा |
3. अधर्म और अनीति की बुनियाद पर साम्राज्य स्थापित मत क़रो क्योंकि इनकी दीवारें कमजोर होती है। इसलिए सत्य तथा धर्म के मार्ग पर चलकर शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से सामर्थ्यवान बनो, क्योंकि शक्तिशाली व्यक्ति से ही लोग प्रेम करते हैं।
4. आदर्श प्रस्थापित करने के लिए सर्वस्व त्याग के लिए तत्पर रहो और समाज में प्रत्येक वर्ग तथा व्यक्ति की अहमियत को समझो, किसी की उपेक्षा मत करो, अपितु उनका उपयोग करो। जैसे श्री राम ने सभी वर्गों से सहयोग प्राप्त किया।
5. राष्ट्र प्रेम, पिता- पुत्र का आदर्श, भाई- भाई के प्रति समर्पण का भाव, पति -पत्नी का प्रेम और शासक तथा प्रजा का धर्म, सत्य और निष्ठा के साथ बलिदान के लिए तत्पर रहना इत्यादि आदर्शों को अपने जीवन में धारण करना ही श्रीराम की अनुपम भक्ति है।
👉भावार्थ- *जो श्रेष्ठ हृदय वाला है, उसी के साथ हमारा उठना बैठना हो।
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