भारतीय ऐतिहासिक प्राचीन एवं प्रसिद्ध स्थल UPSC / SSC/ RRB / IBPS



 भारतीय ऐतिहासिक प्राचीन  एवं प्रसिद्ध  स्थल

मदुरै

मदुरै तमिल नाडु दक्षिणी भाग में वैगई नदी के तट पर स्थित है यह नगर प्राचीन काल में पांडेय राज्य की राजधानी हुआ करती थी संगम युग में कवियों का एक प्रसिद्ध केंद्र मदुरई था प्राचीन विवरणों में इसका उल्लेख दक्षिण के भूमध्यसागरीय वाणिज्यिक केंद्र के रूप में किया गया है रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार को प्रोत्साहित करने हेतु पांडेय शासक ने रोमन सम्राट सीजर अगस्तस के पास एक दूध मंडल भेजा था 1311 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने मदुरई पर आक्रमण कर वहां से बड़ी मात्रा में सामरिक एवं आर्थिक महत्व की चीजें हासिल कर दिल्ली लाया यहां का मीनाक्षी मंदिर अपनी सौंदर्य एवं वास्तु कला के लिए प्रसिद्ध है।


मांडू

यह मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र का एक नगर है जिस का प्राचीन नाम मंडप दुर्ग और मांडलगढ़ है मालवा के शासक होशंगशाह ने धार के स्थान पर मांडू को राजधानी बनाया 15 से 31 ईसवी में गुजरात के शासक बहादुर शाह ने इसे जीत लिया अकबर के शासन काल में यहां का शासक बाज बहादुर था मांडू दुर्ग में जामा मस्जिद, हिंडोला महल, होशंगशाह की कब्र, जहाज महल, बाज बहादुर और रानी रूपमती के महल स्थित हैं।


पावापुरी

महाजनपदों में प्रसिद्ध गणतात्रिक राज्य मल के दूसरे भाग की राजधानी पावापुरी थी। पावापुरी वर्तमान में बिहार राज्य के नालंदा जिले में स्थित है। जैन तीर्थकर महावीर स्वामी ने अपना पहला उपदेश पावापुरी में ही दिया था धर्म प्रचार करते समय महावीर स्वामी का 72 वर्ष की अवस्था में 469 ईसवी पूर्व में महापरी निर्माण पावापुरी में ही हुआ था।

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उदंती पुरी

प्राथमिक शिक्षा का केंद्र एवं बौद्ध धर्म के प्रख्यात स्थली उदंती पुरी बिहार राज्य में गया के समीप स्थित थी। उदंती पुरी को उद्द्यतपुर भी कहा जाता था। पाल शासकों ने उदंती पुरी की उन्नति में महती भूमिका का निर्वहन किया था। यहां पर एक विशाल पुस्तकालय था जिसमें  बौद्ध एवं ब्राह्मण धर्म की पुस्तकें विद्यमान थी आठवीं शताब्दी के मध्य में बंगाल और बिहार में पाल वंश के संस्थापक गोपाल ने यहां एक महाविहार की स्थापना की थी। 


नागार्जुन कोंडा 

प्राचीन कालीन नागार्जुन कोंडा वर्तमान में आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में स्थित है। यह धार्मिक एवं व्यापारिक दृष्टिकोण  से अत्यंत महत्वपूर्ण नगर था। सातवाहन  शासक हाल ने बौद्ध विद्वान नागार्जुन के लिए यहां एक बौद्ध बिहार का निर्माण करवाया था। यह बौद्ध धर्म ही महायान शाखा का प्रमुख केंद्र का यहां से बड़ी संख्या में स्तूप, चैतन्य और बिहार के साथ-साथ रोम सम्राट शहर उसके सिक्के भी प्राप्त हुए हैं।


मुर्शिदाबाद 

पश्चिम बंगाल में भागीरथी नदी के तट पर स्थित मुर्शिदाबाद का उत्तर मध्य कालीन इतिहास विशेष महत्व है। पूर्व में  इसका नाम मखसूदआबाद सोचा इसमें मुर्शीद कुली खाने इसका नाम मुर्शिदाबाद कर दिया और बंगाल की राजधानी ढाका से मुर्शिदाबाद स्थानांतरित कर दी। १७७३  में  कलकत्ता के राजधानी बनाने तक मुर्शिदाबाद ही बंगाल की राजधानी रही। मुर्शिदाबाद रेशमी वस्त्र, मिट्टी के बर्तन तथा हाथी दांत के सुंदर काम के लिए प्रसिद्ध है।


रोपड़

 यह सिंधु सभ्यता का थैला वर्तमान में पंजाब में सतलुज नदी के तट पर स्थित है। इस स्थल की खोज 1955 और 56 में यज्ञदत शर्मा ने की थी। यहां से हड़प्पा सभ्यता के दो चरण उत्खनन से प्राप्त हुए हैं मिट्टी के बर्तन, कुल्हाड़ी एवं मोरे उत्खनन से प्राप्त हुई हैं यहां से मानव के दांत कुत्ते दफनाने के शाक्य रात हुए हैं।


वारंगल

 यह आंध्र प्रदेश का एक जिला है जो गोदावरी नदी के दक्षिण में स्थित है १२ बी शताब्दी में यह काकतीय वंश की राजधानी थी। अलाउद्दीन के सेनापति मलिक काफुर ने काकतीय की राजधानी वारंगल पर आक्रमण किया तथा वहां के शासक प्रताप रुद्र देव ने अपनी एक सोने की मूर्ति बनवाकर और उसके गले में सोने की जंजीर डालकर आत्मसमर्पण हेतु कपूर के पास भेजा। इसी अवसर पर प्रताप रुद्र देव ने मालिक कपूर को संसार प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा भेंट कर दिया तथा तुगलक शासकों के समय में इसे दिल्ली सल्तनत में मिला दिया।

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